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Sunday, 13 July 2025

छांगुर बाबा की सहयोगी नीतू के घर के पास मिलीं धार्मिक पुस्तकें, मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के उतरौला क्षेत्र अंतर्गत मधपुर गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया जब जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की सहयोगी नीतू की कोठी के पीछे स्थित मजार के पास एक गड्ढे में कुरान शरीफ सहित कई धार्मिक पुस्तकें मिलीं। यह गड्ढा नीतू के घर के पिछले गेट से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि ये पुस्तकें कहीं छांगुर बाबा के सहयोगियों अथवा किसी अन्य के द्वारा तो नहीं फेंका गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि कहीं कुछ छुपाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है।


धार्मिक पुस्तकों को इस तरह क्यों फेंका गया?

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गंदे पानी से भरे गड्ढे में कपड़ों के साथ लगभग एक दर्जन धार्मिक पुस्तकें तैरती दिखाई दीं, जिनमें कुरान शरीफ भी शामिल है। यह वही मजार है जहां साल में दो बार उर्स का आयोजन होता है और बड़ी संख्या में लोग आते हैं। स्थानीय लोगों और ग्रामीणों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर धार्मिक पुस्तकों को इस तरह क्यों फेंका गया। चूंकि यह स्थान कथित रूप से धर्मांतरण से जुड़े मामलों में चर्चित रह चुका है, इसलिए पुस्तकें मिलने की घटना को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं और सवाल उठने लगे हैं।



मजार प्रशासन ने दी सफाई

बताया जाता है कि जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा इसी क्षेत्र से धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजाम देता था और धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करता था। ऐसे में जब वही धार्मिक पुस्तकें इस तरह फेंकी हुई पाई गईं तो मामला और ज्यादा संदिग्ध हो गया। प्रशासनिक पक्ष जानने के लिए जब मजार से जुड़े लोगों से बात की गई, तो शुरुआत में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था, लेकिन बाद में चंदौलिया शाह अली बाबा मजार समिति की ओर से सफाई देते हुए कहा गया कि ‘इन किताबों को इसलिए अलग गड्ढे में डाला गया ताकि वे किसी के पैरों के नीचे न आएं। यह गड्ढा हमने जानबूझकर इसी उद्देश्य से खुदवाया है।’


हालांकि, इस सफाई से सभी संतुष्ट नहीं दिखे। कई स्थानीय लोगों का कहना है कि धार्मिक पुस्तकों के साथ इस तरह का व्यवहार असंवेदनशील है और यदि उन्हें सम्मानजनक रूप से अलग रखना था तो अन्य तरीके अपनाए जा सकते थे। फिलहाल इस मामले को लेकर प्रशासन या पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सामाजिक और धार्मिक संगठनों की नजर इस घटनाक्रम पर बनी हुई है।

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